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भारतीय न्‍याय संहिता 2023 की धारा 1(4) BNS Section 1(4)

भारतीय न्‍याय संहिता 2023 की धारा 1(4) BNS Section 1(4)- PART-   भारत के बाहर किए गए, किन्‍तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्‍ड- भारत से परे किये गये अपराध के लिए जो कोई व्‍यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, भारत से परे किये गये किसी कार्य के लिये उससे इस न्‍याय संहिता के उपबंधों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानों वह कार्य भारत के भीतर किया गया था। 

भारतीय न्‍याय संहिता 2023 कि धारा 1(4) के उपबंध

  • भारत के बाहर और दूसरे किसी स्‍थान पर भारत के ना‍गरिक द्वारा।
  • भारत में पंजीकृत किसी  पोत, विमान पर चाहें वह कहीं भी हो, किसी व्‍यक्ति द्वारा, किए गए किसी अपराध को भी लागू है। 
  • कोई व्‍यक्ति किसी स्‍थान में भारत से बाहर और परे कोई अपराध भारत में स्थित कम्‍प्‍यूटर साधन को लक्ष्‍य बनाते हुए किया हो।

भारतीय न्‍याय संहिता 2023 की धारा 1(4) BNS Section 1(4)
भारतीय न्‍याय संहिता 2023 की धारा 1(4) BNS Section 1(4)

नोट- इस धारा में शब्‍द '' अपराध'' में ऐसा प्रत्‍येक कार्य सम्मिलित है, जो भारत से बाहर किया गया है जो यदि भारत में किया गया होता तो न्‍याय संंहिता के अंतर्गत दण्‍डनीय होता। धारा 1(5)

भारतीय न्‍याय संहिता 2023 के संबंध में कुछ महत्‍वपूर्ण परिभाषाएं 

  • ''कार्य'' कार्यों की आवली का उसी प्रकार द्योतक है, जिस प्रकार एक कार्य का।
  • '' जीवजन्‍तु'' से मानव से भिन्‍न कोई जीवित प्राणी अभिप्रेत है।
  • ''शिशु'' से अठारह वर्ष से कम आयु का कोई व्‍यक्ति अभिप्रेत है।
  • ''कूटकरण'' कोई व्‍यक्ति, जो एक चीज को दूसरी चीज के सदृश्‍य इस आशय  से करता है कि या उस सदृश से प्रवंचना करें या यह संभाव्‍य  जानते हुए करता है कि उसके द्वारा प्रवंचना कि जाएगी वह  कूटकरण करता है, यह कहा जाता है-
  • स्‍पष्‍टीकरण-1- कूटकरण के लिए यह आवश्‍यक नहीं है कि नकल ठीक वैसी ही हो।
  • स्‍पष्‍टीकरण-2- जब कोई व्‍यक्ति एक चीज को दूसरी चीज के सदृश्‍य कर दे और सादृश्‍य ऐसा है कि उसके द्वारा किसी व्‍यक्ति को प्रवंचना हो सकती है, तो जब तक कि प्रतिकूल साबित न किया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि जो व्‍यक्ति एक चीज को दूसरी चीज के इस प्रकार सदृश बनाता है उसका आशय उस सदृश द्वारा प्रवंचना करने का था या वह सम्‍भाव्‍य जानता था कि उसके द्वारा प्रवंचना की जाएगी।
  • ''न्‍यायालय'' से वह न्‍यायाधीश, जिसे न्‍यायिकत: कार्य करने के लिए विधि द्वारा अकेले ही सशक्‍त किया गया है, जबकि ऐसा न्‍यायाधीश-निकाय जिसे एक निकाय के रूप मे न्‍यायिकत: कार्य कर रहा है, अभिप्रेत है। 
  • 'मृत्‍यु' से जब तक कि संदर्भ के से प्रतिकूल प्रतीत न हो, मानव की मृत्‍यु अभिप्रेत है। 
  • 'बेईमानी' से इस आशय से कोई कार्य करना अभिप्रेत है, जो एक व्‍यक्ति को सदोष अभिलाभ कारित करे या अन्‍य व्‍यक्ति को सदोष हानि कारित करें। 
  • '' दस्‍तावेज'' से कोई ऐसा विषय अभिप्रेत है, जिसको किसी पदार्थ पर अक्षरों, अंकों या चिह्नों के साधनों द्वारा या उनसे एक से अधिक साधनों द्वारा अभिव्‍यक्‍त या वर्णित किया गया है, और इसके अन्‍तर्गत ऐसे इलैक्‍ट्रानिक और डिजिटल अभिलेख भी हैं, जो उस विषय के साक्ष्‍य के रूप में उपयोग  किए जाने के लिए आशयित है या जिनका उपयो किया जा सकेेगा 
स्‍पष्‍टीकरण- यह तत्‍वहीन है कि किस साधन द्वारा या किस पदार्थ पर अक्षर, अंक या चिह्न बनाए गए हैं, या यह किसी साक्ष्‍य किसी न्‍यायालय के लिए अशयित है या नहीं, या उसमें उपयोग किया जा सकेगा या नहीं। 
चित्रण/ दृष्‍टान्‍त
  • किसी संविदा के निबंधनों को अभिव्‍यक्‍त करने वाला कोई लेख, जिसे उस संविदा के साक्ष्‍य के रूप में उपयोग किया जा सकता हे।
  • बैंककार पर दिया गया चेक, दस्‍तावेज है।
  • मुख्‍तारनामा, दस्‍तावेज है।
  • मानचित्र या रेखांंक, जिसको साक्ष्‍य के रूप में उपयोग में लाने का आशय हो या जो उपयोग में लाया जा सकेगा, दस्‍तावेज है।
  • जिस लेख में निर्देश या अनुदेश अन्‍तर्विष्‍ट हों, दस्‍तावेज है। 
                                                                    स्‍पष्‍टीकरण

अक्षरों, अंकों या चिह्नों के द्वारा, जो कुछ भी वाणिज्यिक या अन्‍य प्रथा के  अनुसार व्‍याख्‍या करने पर अभिव्‍यक्‍त होता है, वह इस धारा के अर्थ के अन्‍तर्गत ऐसे अक्षरो, अंकां या चिन्‍हों से अभिव्‍यक्‍त हुआ समझा जाएगा, चाहे  वह वास्‍तव में अभिव्‍यक्‍त न भी किया गया हो।

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लेखक- अमन कुमार तोमर

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