भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 1(1)। BNS 2023 Section (1)
- सक्षिप्त नाम, शुरूआत और लागू होना- (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम भारतीय न्यास संंहिता 2023 (BNS 2023) है।
- यह उस तारीख को लागू होगा, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र गजट में अधिसूचना जारी करके नियत करेगी और इस न्याय संहिता में विभिन्न उपबंधों के लिए भिन्न-भिन्न तारीखे निश्चित कि गई है।
- प्रत्येक व्यक्ति इस न्याय संहिता के उपबंधों के प्रतिकूल प्रत्येक कार्य, जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा, अन्यथा नहीं।
- भारत से बाहर किये गए अपराध के लिये कोई व्यक्ति भारत में किसी विधि द्वारा विचारण के लिये उत्तरदायी है, भारत के बाहर किए गए किसी भी अपराध के लिए उसे इस न्याय संहिता में वर्णित उपबंधों के आधार पर ऐसा ही बरताव किया जाएगा जैसे कि वह अपराध भारत में किया गया हो।
- भारतीय न्याय संंहिता BNS 2023 के उपबंध-
- भारत से बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा
- भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत या वायुयान पर, चाहे वह कहीं भी हो किसी व्यक्ति द्वारा
- भारत में अव्यविस्थित किसी कंप्यूटर या अन्य कोई संसाधन को लक्ष्य बनाकर भारत से बाहर और परे किसी स्थान पर किसी व्यक्ति द्वारा।
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| भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 1(1)। BNS 2023 Section (1) |
BNS 2023 Section (1) चित्रण
6. इस न्याय संहिता में की कोई बात, भारत सरकार की सेवा के अधिकारियों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायुसैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्यजन के लिए दण्डित करने वाले किसी अधिनियम के उपबंंधों, या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबंधों पर प्रभाव नहीं डालेगी।
भारतीय न्याय संहिता 2023 को भारतीय दण्ड संहिता 1860 के स्थान पर लाया गया है। लगभग 160 सालों पुरानी दण्ड संहिता देश के अनुकूल नहीं रह गयी थी। तथा इसमें अनेकों बार संसोधन हो सके हो चुके है। इस पुरानी दण्ड संहिता में अनेकों अपराधों के लिये पर्याप्त दण्ड की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर पुरानी दण्ड संहिता के स्थान पर नई भारतीय न्याय संहिता 2023 BNS 2023 को लाया गया।
BNS 2023 लागू- भारतीय न्याय संहिता 2023 BNS 2023 को 1 जुलाई 2023 को लागू किया गया है। और इसके क्षेत्र की बात करें तो हमारी नयी न्याय संहिता सम्पूर्ण भारत में लागू होती है।
उपधारा (3) में यह कहा गया है कि ऐसा प्रत्येक भारतीय नागरिक जो इस न्याय संहिता के विरूद्व कार्य करेगा वह-- भारत के भीतर दोषी होगा
- और इस संहिता के अधीन दण्डनीय होगा।
यदि कोई व्यक्ति भारत के किसी भाग में अपराध करने का दोषी होता है तो वह BNS 2023 के अंतर्गत राष्ट्रीयता,पद, जाति, अथवा वंश के भेदभाव के बिना दण्ड का भागी होगा। भारत के संविधान के Article 14 में वर्णित ' विधि के समक्ष समानता' के सिद्धांत का इस संहिता में पूर्ण रूप से पालन किया गया हे। विदेशी नागरिक भी इस न्याय संहिता के दायित्व से मुक्त नहीं है।
इस विषय को और गहराई से समझने के लिये मुबारक अली बनाम स्टेट आफ मुंबई का एक महत्वपूर्ण मामला समझना होगा। इसमें बताया गया है कि एक विदेशी नागरिक डिलेवरी करने के लिए अपने सामर्थ्य के विषय में कपटपूर्ण व झूठा अपराध किया है। और छल कपट द्वारा मूल्यवान प्रतिफल प्राप्त किया है तो उसे दोषी माना जाना चाहिए और अपराधी घोषित किया जाना चाहिए। इन समस्त तथ्यों के बावजूद वह विदेशी नागरिक भारत में उपस्थित नहीं था, दण्ड संहिता के अंतर्गत उसे दण्ड दिया जाना चाहिये था।
BNS 2023 Section (1) अपवाद
भारतीय न्याय संहिता बिना किसी पद, जाति, वंश, रंग आदि के भेदभाव के समस्त व्यक्तियों पर प्रयोज्य होती है, किन्तु निम्नलिखित व्यक्तियों को इस न्याय संहिता के प्रभाव से मुक्त रखा गया है-
- राष्ट्रपति और राज्यपाल को सविंधान के अनुच्छेद 361 के मुताबिक भारतीय न्याय संहिता से मुक्त रखा गया है। राष्ट्रपति और राज्यपाल पर न्यायालयों में न तो सिविल एवं अपराधिक कार्यवाही चलाई जा सकती है और न ही उनके विरूद्ध गिरफ्तारी का वारण्ट ही जारी किया जा सकता है।
- किसी भी देश के विदेशी सम्राट को इस संहिता के अंतर्गत दण्डित नहीं किया जा सकता। अन्तर्राष्ट्रीय न्याय विधि का एक प्रस्ताावित नियम है।
- राजदूत व राजनयिक अभिकर्ता एवं स्वतंत्र राजा या राज्य के प्रतिनिधि होते हैं, अत: उन्हें भी न्याय संहिता के प्रावधानों से पूर्णत: मुक्त रखा गया है।
- विदेशी शत्रुओं पर इस भारतीय न्याय संहिता 2023 के अन्तर्गत प्रकरण नहीं चलाया जा सकता, क्योकि उन पर युुद्ध के नियमों के अनुसार सैनिक न्यायालयों में प्रकरण चलाया जाता है। लेकिन अगर कोई विदेशी शत्रु ऐसा कोई अपराध करता है जो युद्ध के नियमों से संबंधित नहीं है तो वह सामान्य दण्ड न्यायालयों द्वारा दण्डित किया जा सकेगा।
- विदेशी सेनाओ को भी न्याय संहिता के प्रावधानों से मुक्त रखा गया है लेकिन उनको यह छूट प्रदान कि गई ये छूट स्वतंत्र न होकर सीमित सीमा तक है।
- युद्ध अपराध के सिद्धातों के अनुसार युद्धपराधियों को भी न्याय संहिता के प्रावधानों से मुक्त रखा गया है।
लेखक- अमन कुमार तोमर
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