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भारतीय न्‍याय संहिता 2023, BNS 2023 (PART-4)

                   भारतीय न्‍याय संहिता 2023, BNS 2023 (PART-4)

BNS 2023 दृष्‍टान्‍त/ चित्रण

29. विश्‍वास करने का कारण- कोई व्‍यक्ति किसी बात का '' विश्‍वास करने का कारण'' रखता है, तब कहा जाता है जब वह उस बात के विश्‍वास करने का पर्याप्‍त कारण रखता हैं, अन्‍यथा नहीं;
30.  विशेष विधि से वह विधि अभिप्रेत है, जो किसी  विशिष्‍ट विषय को लागू है;
31. मूल्‍यवान प्रतिभूति से ऐसा कोई दस्‍तावेज अभिप्रेत हैं, जो ऐसा दस्‍तावेज है, या होना तात्‍पर्यित है, जिसके द्वारा कोई विधिक अधिकार सृजित, विस्‍तृत, अंतरित, निर्बधिंत, निर्वापित किय जाए या छोड़ा जाए या जिसके द्वारा कोई व्‍यक्ति यह अभिस्‍वीकृत करता है कि वह  विधिक दायित्‍व  के अधीन हैं या अमुक विधिक अधिकार कहा जाता है। 

BNS 2023 दृष्‍टान्‍त/ चित्रण

'क' एक विनिमयपत्र की पीठ पर अपना नाम लिख देता है। इस पृष्‍ठांकन का प्रभाव किसी व्‍यक्ति को, जो उसका विधिपूर्ण धारक हो जाए, उस विनियमपत्र पर का अधिकार अन्‍तरित किया जाना है, इसलिए यह पृष्‍ठांकन ''मूल्‍यवान प्रतिभूति'' है।
(32) जलयान से कोई चीज अभिप्रेत है, जो मानव के या सम्‍पत्ति के जल द्वारा प्रवहण के लिए बनाई गई है;
(33) स्‍वेच्‍छया- कोई व्‍यक्ति किसी परिणाम को ''स्‍वेच्‍छया'' कारित करता है, यह तब कहा जाता है, जब वह उसे उन साधनों द्वारा कारित करता है, जिनके द्वारा उसे  कारित करना  उसका आशय था या उन साधनों द्वारा कारित करता है जिन साधनों को काम में लाते समय यह जानता था,या यह विश्‍वास करने का कारण रखता था कि उनसे उसका कारित होना सम्‍भाव्‍य है;
भारतीय न्‍याय संहिता 2023, BNS 2023
भारतीय न्‍याय संहिता 2023, BNS 2023

BNS 2023 दृष्‍टान्‍त/चित्रण

'क' लूट को सुकर बनाने के प्रयोजन से एक बड़े नगर एक बसे हुए घर में रात मृत्‍यु को आग लगाता है ओर इस प्रकार एक व्‍यक्ति की मृत्‍यु कारित कर देता है। यहां क का आशय भले ही मृत्‍यु कारित करने का न रहा हो और वह दुखित भी हो कि उसके कार्य  से मृत्‍यु कारित हुई है तो भी यदि वह यह जानता था कि सम्‍भाव्‍य है वह मृत्‍यु क‍ारित कर दे तो उसने स्‍वेच्‍छया मृत्‍यु कारित की है।
(34) वसीयत से कोई वसीयती दस्‍तावेज अभिप्रेत है;
(35) महिला से किसी भी आयु की मानव नारी अभिप्रेत है;
(36) सदोष अभिलाभ से विधिविरूद्ध साधनों द्वारा ऐसी सम्‍पत्ति की हानि अभिप्रेत है, जिसका उठाने वाला व्‍यक्ति वैध रूप से हकदार हो। 
(37) सदोष हानि से विधिविरूद्ध साधनों द्वारा ऐसी सम्‍पत्ति की हानि अभिप्रेत है, जिसकी हानि उठाने वाला व्‍यक्ति वैध रूप से हकदार हो।
(38) सदोष अभिलाभ प्राप्‍त करना और सदोष हानि उठाना- कोई व्‍यक्ति सदोष अभिलाभ प्राप्‍त करता है, यह तब कहा जाता है जब वह व्‍यक्ति सदोष रखे रखता है। और तब भी जब वह सदोष अर्जन करता है। कोई व्‍यक्ति सदोष हानि उठाता है यह तब कहा जाता है जब उसे किसी सम्‍पत्ति से सदोष अलग रखा जाता है, और तब भी जब उसे किसी सम्‍पत्ति से सदोष वंचित किया जाता है और 
(39) उन शब्‍दों और पदों के, जो इसमें प्रयुक्‍त हैं और इस संहिता में परिभाषित नहीं है, किन्‍तु सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में परिभाषित हैं, वहीं अर्थ होंगे, जो क्रमश: उस अधिनियम ओर संहिता में उनके है।

भारतीय न्‍याय संहिता 2023, BNS 2023 के संबंध में टिप्‍पणी

संहिता की धारा 2 इस संहिता का व्‍याख्‍यात्‍मक खण्‍ड है। इसमें ऐसे कुछ शब्‍दों की परिभाषाएं दी गई है जो इस संहिता में प्रयुक्‍त हुए है। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य इन शब्‍दों  की  व्‍याख्‍या करते समय आने वाली कठिनाईयों का निवारकण करना है। 

BNS 2023 कि व्‍याख्‍या के नियम

  1. जहॉं अधिनियम की भाषा स्‍पष्‍ट एवं असंदिग्‍ध हो, वहॉं उसी  के अनुरूप अर्थ दिया जाना चाहिए। 
  2. व्‍याख्‍या में रिष्टि को स्‍थान नहीं दिया जाना चाहिए।
  3. शब्‍दों को शाब्दिक एवं वास्‍तविक अर्थों मे ग्रहण किया जाना चाहिए। 
  4. व्‍याख्‍या उद्देयपूर्ण होनी चाहिए।
  5. शब्‍दों के एकाधिक अर्थ निकलने पर उस अर्थ को ग्रहण किया जाना चाहिए जो विधायिका के आशय  के अनुरूप हो। 
  6. अधिनियम में प्रयुक्‍त शब्‍दों को वही अर्थ दिया जाना चाहिए  जो सामान्‍यतया प्रचलित  है।
  7. अधिनियम की व्‍याख्‍या उसकी  स्‍कीम के अनुरूप की जानी चाहिए।
  8. शब्‍दों को उनके विधिपूर्ण एवं आधिकारिक भाव मे ही लिया जाना चाहिए।
  9. उपचारात्‍मक संविधियों की व्‍याख्‍या उदारतापूर्वक की जानी चाहिए।
  10. विधायिका के आशय का पता लगाने के लिए अधिनियमिति के उद्देश्‍यों एवं कारणों को देखा जा सकता है।
  11. विधियों की व्‍याख्‍या करते समय न्‍यायालयों को व्‍यक्तिगत मामलो में नहीं जाना चाहिए।
  12. व्‍याख्‍या करते समय शब्‍दों को जोड़ने या हटाने की प्रवृति से बचना चाहिए।
  13. संविधि में शब्‍दों को जोड़ना या हटाना विधायिका का कार्य है न्‍यायपालिका का नहीं। 
  14. जहॉं किसी संविधि के दो अर्थ निकलते हों वहॉं ऐसे शब्‍द को ग्रहण करना चाहिए जो संविधि के उद्देश्‍य को पूरा करता हो।
  15. अधिनियम उपबंधों का सही अर्थ लगाने के लिए प्रस्‍तावना का सहारा लिया जा सकता है। 
  16. जहॉं संविधि की भाषा स्‍पष्‍ट एवं असंदिग्‍ध हो तो न्‍यायालय द्वारा उसमें न तो कुछ जोड़ा जाना चाहिए एवं  न ही निकला जाना चाहिए।
  17. स‍ंंविधि की व्‍याख्‍या करते समय आन्‍तरिक सहायक के रूप में संविधि के साथ संलग्‍न अनुसूची की सहायता ली जा सकती है।
  18. यथासंभव शब्‍दों  का शाब्दिक अर्थ  ही ग्रहण किया जाना चाहिए।
  19. व्‍याख्‍या का यह सामान्‍य नियम है कि विशेष विधि सामान्‍य विधि पर अभिभावी होती है।
  20. जहॉं संविधि की भाषा में कोई संदिग्‍धता अथवा भ्रम न हो तो उसका सामान्‍य अर्थ ग्रहण किया जाना चाहिए।
इसकी पार्ट के साथ BNS 2023 कि धारा 1 की समाप्ति होती है। अगले ब्‍लॉग में हम BNS 2023 कि धारा 2 को जानेंगे और BNS 2023 धारा 2 के विषय में चर्चा करेंगे। 

लेखक- अमन कुमार तोमर 

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