भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 2(26) और 2(28), भाग-3. BNS 2023 section 2(26) and 2(28), Part-3 in Hindi.
15. व्यक्ति धारा 2(26)-
कोई भी कंपनी या संगम या व्यक्तियों का निकाय, चाहे वह निर्गमित हो या नहीं, 'व्यक्ति' शब्द के अंंतर्गत आता है। विधि में 'व्यक्ति' की परिभाषा एक सामान्य परिभाषा से भिन्न है। सामान्यत: हम एक चलते फिरते मानव प्राणी को 'व्यक्ति' कहा करते हैं। लेकिन विधि व्यक्ति का विस्तृत अर्थ लेती है। और वह इस अभिव्यक्ति में सजीव और निर्जीव सभी को सम्मिलित करती है।
सामण्ड के अनुसार- Legal Personality is an artificial creation of Law. इस प्रकार व्यक्ति शब्द में कृत्रिम एवं न्यायिक सभी व्यक्ति होने के नाते 'व्यक्ति' की परिभाषा में आते है।
इसके अंतर्गत जन्में या अजन्में बच्चे को भी सम्मिलित किया गया है। बच्चा भले ही अजन्मा हो और माता के गर्भाशय में हो, उसे व्यक्ति कहा जाता है। किन्तु शर्त यह है कि उसका शरीर इतना विकसित हो गया है कि बच्चा कहा जा सके। लेकिन जहॉं कोई मर्यादित समवाय अपराध कारित करने के लिये भौतिक रूप से असमर्थ हो, या जहॉं अपराध की दोषसिद्धि के लिये दुर्भावनापूर्ण आशय आवश्यक हो, या जहॉं किसी अपराध के लिये कारावास ही एक मात्र दंड हो, वहॉं ऐसे मर्यादित समवाय के विरूद्ध अग्रसर नहीं हुआ जा सकता। क्योंकि यह सब व्यक्तिगत मनुष्यों के लिये ही संभव होते है।
लेकिन जिन अपराधों में केवल जुर्माने का ही दण्ड दिया जाना है, उनमे ऐसे निकाय भी 'व्यक्ति' हैं और उन्हें अभियोजित किया जा सकेगा।
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भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 2(26) और 2(28) भाग-3. BNS 2023 section 2(26) and 2(28), Part-3 in Hindi. |
16. लोक सेवक धारा 2(28)-
लोक सेवक से कोई व्यक्ति अभिप्रेत है जो निम्नलिखित में से किसी के अंतर्गत आता है अर्थात्-
- सेना, नौ-सेना या वायुसेना का प्रत्येक आयुक्त अधिकारी।
- प्रत्येक न्यायाधीश, जिसके अंतर्गत ऐसा कोई भी व्यक्ति आता है जो किन्हीं न्यायनिर्णय कृत्यों का, चाहे स्वंय या व्यक्तियों के किसी निकाय के सदस्य के रूप मे निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो;
- न्यायालय का प्रत्येक अधिकारी, जिसके ऐसे अधिकारी के नाते यह कर्त्तव्य हो कि वह विधि या तथ्य के किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करें, या कोई दस्तावेज बनाये, अधिप्रमाणीकृत करे, या रखे, या किसी सम्पत्ति का भार सम्भाले या उस सम्पत्ति का व्ययन करे, या किसी न्यायिक आदेशिका का निष्पादन करे, या कोई शपथ ग्रहण करे, या निर्वचन करे, या न्यायालय मे व्यवस्था बनाये रखे और प्रत्येक व्यक्ति, जिसे ऐसे कर्त्तव्यों में से किन्हीं का पालन करने का प्राधिकार द्वारा विशेष रूप से दिया गया हो;
- किसी न्यायालय या लोक सेवक की सहायता करने वाला प्रत्येक अससेर या पंचायत का सदस्य;
- प्रत्येक मध्यस्थ या अन्य व्यक्ति, जिसको किसी न्यायालय द्वारा या किसी अन्य सक्षम लोक प्राधिकारी द्वारा कोई मामला या विषय विनिश्चय या रिपोर्ट के लिये निर्दिष्ट किया गया हो;
- प्रत्येक व्यक्ति जो, किसी ऐसे पद को धारण करता हो, जिसके आधार पर वह किसी व्यक्ति को परिरोध में करने या रखने के लिये सशक्त हो;
- सरकार का प्रत्येक अधिकारी, जिसका ऐसा अधिकारी के नाते यह कर्त्तव्य हो कि वह अपराधों का निवारण करें, अपराधों की सूचना दे, अपराधियों को न्याय के लिये उपस्थित करे या लोक के स्वास्थ्य, सुरक्षा या सुविधा की संरक्षा करें।
- प्रत्येक अधिकारी, जिसका ऐसे अधिकारी के नाते यह कर्त्तव्य हो कि वह सरकार की ओर से किसी सम्पति को ग्रहण करें, प्राप्त करें रखे या व्यय करे, या सरकार की ओर से कोई सर्वेक्षण, निर्धारण या संविदा करें, या किसी राजस्व आदेशिका का निष्पादन करे या सरकार के धन संबंधी हितों पर प्रभाव डालने वाले किसी मामले में अन्वेष्ण या रिपोर्ट करे या सरकार के धन संबंधी हितों से संबंधित किसी दस्तावेज को बनाये, अधिप्रमाणीकृत करे या रखे, या सरकार के धन संबंधी हितों के सरंक्षण के लिये किसी विधि-व्यतिक्रम को राकें;
- प्रत्येक व्यक्ति जो कोई ऐसे पद धारण करता हो, जिसके आधार से वह निर्वाचक नामावली तैयार करने, प्रकाशित करने, बनाये रखने या पुनरीक्षित करने के लिये या निर्वाचन के भाग को संचालित करने के लिये सशक्त हो;
- प्रत्येक व्यक्ति, जो-
- सरकार की सेवा या वेतन में है या किसी लोक कर्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता है;
- साधारण खण्ड अधिनियम, 1897 (1897 का 10) की धारा 3 के खण्ड (31) में यथा परिभाषित किसी स्थानीय प्राधिकारी की, किसी केन्द्रीय या राज्य अधिनियम के द्वारा उसके अधीन स्थापित किसी निगम की या कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) की धारा 2 के खण्ड (45) में यथा परिभाषित किसी सरकारी कंपनी की सेवा या वेतन में है।
- क्या वह सरकारी सेवा में कार्यरत है अथवा सरकार से वेतन प्राप्त करता है, एवं
- क्या उसे किसी लोक कर्तव्य का पालन करने के लिये न्यस्त किया गया है।
- अध्यापक जिसे सरकार से वेतन मिलता है;
- रेलवे कर्मचारी;
- नगरपालिका द्वारा नियुक्त बिल-संग्रहकर्ता;
- नगरपालिका की प्रबंध समिति का अध्यक्ष;
- निलंबित लोक सेवक (कोई लोक सेवक निलंबित हो जाने बाद भी लोक सेवक का हैसियत रखेगा)
- कुर्क अमीन;
- औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 11 (क) के अंतर्गत श्रम आयुक्त या समझौता अधिकारी;
- सरपंच;
- किसी राज्य का मुख्यमंत्री अथवा मंत्री
- रजिस्ट्रीकृत सहकारी समिति का कर्मचारी अथवा उसकी कार्यपालिका समिति का सदस्य
- सहायक वायुसेना का सदस्य;
- वह राजकीय सेवा में अधिकारी नहीं देगा;
- उसे वेतन का भुगतान सरकार द्वारा नहीं किया जाता;
- वह किसी अधिनियम के अधीन स्थापित प्राधिकरण की सेवा मे भी नहीं होता।
- वह राज्यपाल द्वारा नियुक्त होता है, एवं
- राज्य-कोष से वेतन प्राप्त करता है।
- वह राज कोष से वेतन नहीं पाता है, एवं
- वह मात्र संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करता है।
- सरकारी कर्मचारी सरकार का सेवक भी होता है तथा लोकसेवक भी, जबकि लोकसेवक केवल लोकसेवक होता है, सरकारी कर्मचारी नहीं।
- सरकारी कर्मचारी को राजकोष से वेतन मिलता है जबकि लोकसेवक को नहीं।
- सरकारी कर्मचारी के विरूद्ध कदाचरण के आरोप पर सेवा नियमों के अंंतर्गत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है। जबकि लोकसेवक के विरूद्ध नहीं।
- सरकारी कर्मचारी की पदावधि निश्चित होती है। पर लोकसेवक की नहीं।
- सरकारी कर्मचारी की नियुक्त, भर्ती, योग्यता, सेवनानिवृति, व पदोन्नति आदि निर्धारित नियमों एवं अर्हताओं के आधार पर की जाती है, जबकि लोकसेवक के लिए ऐसी कोइ अर्हता नहीं है।
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